कविताअन्य
आज कुछ अलग अहसास हुआ, प्यार का उनसे इज़हार हुआ।
मुस्कुराए वो कुछ इस तरह, तीर सीधा दिल के पार हुआ।
गतिहीन मैं और वक्त भी थम सा गया, आखों में देखा उनकी तो जीना साकार हुआ।
शायद संशय में था मन मेरा, औफ़ से सुना तो आशाओं पर पलट वार हुआ।
ना हां बोला, ना, ना बोला, कहा प्रयत्न तुम्हारा बेकार हुआ।
मलाल इस बात का, ना समझा दिल उनकी बातों को,
इश्क को ता - उम्र का कारागार हुआ।
(शायतिक)