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कवितानज़्म
भिखारी के मानिंद भिखारी की मानिंद बशर कोई क्यूं मांगे सब से गर किसीको मांगना हीहै तो मांगे सबके रब से डॉ.एन.आऱ कस्वाँ "बशर" २०२३/०९/२८/सरी