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*फ़कीरी मिली* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*फ़कीरी मिली*

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*फ़कीरी मिली*

सफ़र-ए-हयात-ए-मुस्त'आर की मंज़िल आख़िरी मिली
अपने उरूज पर है उम्रे-ज़ीस्त के बड़ी देर से पीरी मिली
हुई मुफलिसी ख़त्म बशर के हमको अंतमें अमीरी मिली
दौलत-ए-सब्र-ओ-सुकून से भरपूर आलमे फ़कीरी मिली

डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"
२०२३/०९/२८/सरी

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