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कवितानज़्म
*कठिन है बिन कुछ कहे कुछ कहना भी* चुप रहना भी मग़र बशर अपनी बात कहना भी कितना कठिन है बिन कुछ कहे कुछ कहना भी डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" २०२३/०९/२६/सरी