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हयात क़ज़ा की मोहताज बनकर रह गई है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हयात क़ज़ा की मोहताज बनकर रह गई है

  • 38
  • 1 Min Read

*यादों की क़िताब बन कर रह गई है*

जिंदगी यादों की क़िताब बन कर रह गई है
हयात क़ज़ा की मोहताज बनकर रह गई है

डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"
१९/०९/२०२३

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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वो चांद आज आना
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