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जमाने गुज़र जाते हैं बशर खुशियों के आने में - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

जमाने गुज़र जाते हैं बशर खुशियों के आने में

  • 84
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*जमाने गुज़र जाते हैं*

मसर्रतें होती नहीं हासिल आसानी से जमाने में
जमाने गुज़र जाते हैं बशर खुशियों के आने में !

©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"
१८/०९/२०२३

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