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कवितानज़्म
*जमाने गुज़र जाते हैं* मसर्रतें होती नहीं हासिल आसानी से जमाने में जमाने गुज़र जाते हैं बशर खुशियों के आने में ! ©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" १८/०९/२०२३