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*साथ बशर अपने ला नहीं सकता* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*साथ बशर अपने ला नहीं सकता*

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*साथ बशर अपने ला नहीं सकता*

पूरा-पूरा मुकम्मल कोई कहीं जा नहीं सकता
अगर पूरा चला गया लौटकर आ नहीं सकता

हिस्सा पीछे कुछ तो उस का छूट ही जाता है
चाहकर भी साथ बशर अपने ला नहीं सकता

©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"
१७/०९/२०२३

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