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कोई और काम आ गया है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

कोई और काम आ गया है

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आने को सफ़र -ए-हयात -ए-मुस्त'आर का मक़ाम आ गया है
फिर निकल पड़े हैं मग़र बशर कि कोई और काम आ गया है

©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"
२०२३/०९/१६

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