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कवितानज़्म
वोह गुज़रे दिन सुहाने ढूंढ़कर कहाँ से लाऊँ बचपन के मीत पुराने ढूंढ़कर कहाँ से लाऊँ बे-फिक्री सब्र-ओ-सुकूँ चैनो- अमन के पल बीते हुए वोह जमाने ढूंढ़ कर कहाँ से लाऊँ डॉ.एन.आर. कस्वां "बशर" २०२३/०९/१३