कविताअतुकांत कविता
♥️ मेरी प्यारी माँ ♥️
छोटी सी आस में,बडा उजाला देखा है,
माँ तेरे प्यार में,मैंने अपना संसार देखा है।
बच्चों की तिलमिलाहट से,माँ सहम सी जाती है,
माँ अपने बच्चों पे,क्यों इतना प्यार लुटाती है।
पेड़ की छांव में ,धूप भी आ जाती है,
माँ तेरी गोद में, छांव भी फीकी पड़ जाती है।
अपने प्यारे हाथों से,सारी थकान मिटाती है ,
माँ खुद को सब सहन करके,यूं ही सो जाती है।
तेरे प्यार में हमे,वो जन्नत नजर आती है,
माँ बच्चों के दुःखों को,गले लगाकर खुश हो जाती है।
माँ मैं अपने छोटे मुख से,कैसे तेरे गुणगान गाँऊ,
माँ अगले जन्म में भी,तेरे कोख से ही जन्म ले पाऊँ।
मत छोड़ो साथ अपनी माँ का,जिसने तुम्हें जीना सिखाया,
अपनी एक खुशी के लिये,तुमने उसे दुःख पहुँचाया।
माँ चाहे तो जन्म होने से,पहले तुम्हें मिटा देती,
माँ है ना ,तुम्हें कैसे अपनी कोख से दूर कर देती।
छोटी सी आस में,बडा उजाला देखा है,
माँ तेरे प्यार में,मैंने अपना संसार देखा है।
माँ बच्चों की जाँह होती है,वो होते है किस्मत वाले जिनकी माँ होती है।।
❣❣❣माँ ❣❣❣
Sanju पहाड़ी