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कवितानज़्म
*रौनक-ओ-मसर्रत से यौमे-ए-खास की हर पहर गुजरी* बहोत खुशी है के रौनक-ओ-मसर्रत से यौमे-ए-खास की हर पहर गुजरी मलाल है के तेरे जश्ने-यौमे-विलादत की शाम-ओ-सहर हमारे बग़ैर गुजरी © "बशर"