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कवितानज़्म
*सहर सुहानी हो जाए* तिरे शहर की हरेक सहर इस क़दर सुहानी हो जाए गोया शबे-ग़म की हरेक बात बशर बे-मानी हो जाए ©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" २०/०९/२०२३