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पीछे रहबर के क्यूं चलें बशर जब हम अपनी ही डगर चलें - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

पीछे रहबर के क्यूं चलें बशर जब हम अपनी ही डगर चलें

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अपना है सफ़र, अपने हैं रस्ते, हम अपनी ही रहगुज़र चलें
पीछे रहबर के क्यूं चलें बशर जब हम अपनी ही डगर चलें

डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"
२०२३/०९/०८

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