Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
आता नहीं है बशर कभी फ़न कोई उस्ताद के बग़ैर - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

आता नहीं है बशर कभी फ़न कोई उस्ताद के बग़ैर

  • 100
  • 3 Min Read

रंज ओ ग़म किसीको होते नहीं हैं अवसाद के बग़ैर
जंगे-बदर कहां हुई होती किसी की फ़साद के बग़ैर

क़ीमते- मसर्रत क्या समझेगा कोई नाशाद के बग़ैर
अहमियत नींदकी कौन जानेगा शबे-बर्बाद के बग़ैर

हासिल सुकून होता ही नहीं कहीं पर शाद के बग़ैर
परिंदों के पर कौन कुतरेगा ज़ालिम सैय्याद के बग़ैर

देखा नहीं ज़माने में कोहकन कोई फ़रहाद के बग़ैर
आता नहीं है बशर कभी फ़न कोई उस्ताद के बग़ैर

--@# "बशर"
Happy Teacher's Day

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg