कविताअतुकांत कविता
मोहब्बत को निगाहों से
बयां नहीं करते
दिल के सब जज्बातों को
लिखा नहीं करते
ख़त भेजते है वो
कोरा कागज हमें
इश्क, मुस्कराहट और
वफा से भरा
कोई उनसे कह दे
ख़त के हर लफ़्ज़ में
अशआर ए हया
भरा नहीं करते
जान लेते है हम बंद लिफाफे
से भी हाले दिल जनाब
दिल की हर बात को लिखा
पढ़ा नहीं करते