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राहें सुकू - ALI AHMAD (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

राहें सुकू

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मुझे सुकू का रास्ता बता दो
मै मुद्दतों का थका हुआ हूँ
वक़्त की कतार मे खड़े-खड़े
भीड़ का हिस्सा बन गया हूँ।

अब ख़्वाबों मे भी थकावट होती है
वक़्त के गलियारों मे बाहस होती है
ख़्वाबों के परवाज़ को समेटे हुए
राही को आवाज़ लगा रहा हूँ।

मुझे सुकू का रास्ता बता दो
मै मुद्दतों का थका हुआ हूँ।

अली अहमद

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