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साहिल पे उफ़ान आता है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

साहिल पे उफ़ान आता है

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समंदर के अंदर समाता नहीं है दर्द बशर तो साहिल पे उफ़ान आता है
हांफती हुई हवाओं का बढ जाता है मर्ज़ तो धरातल पे तूफ़ान आता है

©डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"
२६/०८/२०२३

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