कविताअन्य
माना की जिंदगी में अंधेरा छाया हुआ है
दूर दूर तक फैला हुआ है
रोशनी की कोई उम्मीद नहीं रही तुझमें
लेकिन हौसला और भरोसा रख मुझमें
रोशनी की एक छोटी सी किरण गहरे से गहरे अंधेरे पे भारी है
उज्जालों को छूना है तो तुझे करनी अंधेरे की सवारी है
आखिर में अंधेरे को हटना ही है
रोशनी के सामने मिटना ही है
फिर क्यों डरता है,घबराता है, टूटता है
हिम्मत रख अपने पे,तू वक्त बदलने की ताकत रखता है