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ज़ीस्त से जिंदगी-भर से यूं खेलता रहा है बशर - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

ज़ीस्त से जिंदगी-भर से यूं खेलता रहा है बशर

  • 52
  • 1 Min Read

खुद की नहीं जैसे किसी और की करता रहा है बसर
अपनी ज़ीस्त से जिंदगी-भर से यूं खेलता रहा है बशर

डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"
२०२३/०९/०१

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