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जरूरियात भी कम है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

जरूरियात भी कम है

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चाहने को तो ख़ालिक़ मिरे येह तमाम क़ायनात भी कम है,
येह बशर तुझसे क्या मांगे उसकी तो जरूरियात भी कम है!

©डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"
२०२३/०८/२९

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