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कवितानज़्म
अहबाब ही रखने लगे अदावत किसे पता अपने ही करने लगे हैं बगावत किसे पता रक़ीबों से दोस्ती और अपनो से रक़ाबत क्या सिखाती इनको तिलावत किसे पता डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर" २४/०८/२०२३