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सही दिशा में - Ratan Kirtaniya (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

सही दिशा में

  • 93
  • 8 Min Read

सही दिशा में ।
लोहा आग में तापकर ,
लोहार कि मार -
बनाता है मनोहर ,
इन्सान से होता है ;
इन्सानियत बढ़कर ,
जीवन की बेला ;
देख लो सच्चाई कि -
पथ में चलकर ;
खुद को पा के अकेला !
भटक ना जाए ! तेरा पथ -
थाम ले गुरु का हाथ !
चल ले दो कदम गुरु के साथ ,
सोना बन के चमकना ,
माटी बनकर ;
कुम्हार के हाथों में सजकर ,
खुद को आग में तापाकर ;
बेला है तेरे हाथ में -
सुधार जाओं सही दिशा में चलकर ।


चारु कर हिना को ;
शिला में घिसकर ,
जीवन को सँवर लो !
थोड़ा पसीना बहाकर ,
बनाने वाले जग को -
अद्भुत बनाया है ;
काँटें वाली डाली पे -
पुष्प को खिलाया है ,
पुष्प खुशबू को छुपाकर -
फिर महकया है ;
भटक ना जाए तेरा पथ !
जागा ले उस शक्ति को -
तू ने जो ! तेरी अन्तर् में छिपाया है ;
गुजर ले जीवन के दो पल !
सच्चाई के साथ ।



नव तैर रहा है ;
अत्रु की सागर में ,
मसल गया सपनों की पुष्प ;
मत होना निराशा ;
मनस्थ हो अभिलाषा ,
बेला ने मारा ;
कौन देगा सहारा ;
परछाई भी होता विलुप्त !
सृष्टि जब तिमिर में लिप्त ,
मत डर निशा में !
चल तू सही दिशा में ,
आने वाला है ! कोई पूरब दिशा में ।


बेला है अनमोल ;
तेरा मर्जी ! तेरे कर्म में तोल ,
तू क्यों ! किस कारण ऐंठा है ?
पल - पल निकाल गया !
व्यर्थ में क्यों ! तू बैठा है ?
सुन भाई तेरा भविष्य !
वर्तमान की गर्भ में बैठा है ;
चल उठ -
इसे है अब गढ़ना ;
नहीं तो ! बाद में पछतावा होगा वरना ।


ठोकर खा के ही -
सम्हाल जाना है ;
गिरके ही -
खड़ा होकर आगे बढ़ना है ;
संघर्ष तेरा जीवन है ;
हार ना मानना है ,
तुझे आगे ही बढ़ना है ,
संघर्ष से हो कर्म फल अवांछित ;
काटोगे अब पुलकित ;
सोच समझकर फसल तुझे बोना है !
फैले तेरा समृद्धि दसों दिशा में ;
सच्चाई के साथ चल तू सही दिशा में ।

कवि रतन किर्तनिया
जिला :- कांकेर
छत्तीसगढ़
9343698231
9343600585

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