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तैयार हैं छोड़नेको घरबार हमतो - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

तैयार हैं छोड़नेको घरबार हमतो

  • 98
  • 2 Min Read

जिससे मुमकिन नहीं मुलाक़ात
उसीका करना है दीदार हम को!
जिसके आने पर नहीं है ऐतबार
उसीका करना है इंतज़ार हमको!
दस्त -ब - दस्त खाक भी छानने
बनने को फ़कीर हैं तैयार हमतो!
इक सिर्फ़ उस की ख़ातिर बशर
तैयार हैं छोड़नेको घरबार हमतो!

डॉ.एन.आर.कस्वाँ ""बशर""

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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