Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
औरत,स्त्री... ! - Rajit Ram Ranjan (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

औरत,स्त्री... !

  • 356
  • 4 Min Read

औरत के जैसा

 गुण किसी में नहीं

 मिला इन्हें

 कुदरत का

 करिश्मा है 

अवगुण मुझ में 

ज्ञान भरा इसी ने

 जिसे मैं 

मां  कहके

 पुकारता हूं 

क्या गजब की 

त्याग, छमा, याचना,

 ममता, प्यार, दुलार 

इनमें कूट-कूट कर

 समाहित होती है 

इतनी बड़ी त्याग

अपना घर छोड़ना 

एक पराएं 

पुरुष को 

सब कुछ समझना 

 फिर एक मासूम से

 फूल को जन्म देती है,

जो आगे चलकर

 एक बृच्छ का 

सहारा ले लेता है 

सृजन 

एक पौधे के जैसा 

औंरत करती है

मगर हमारे 

अंधे समाज ने 

इन्हें अपना 

गुलाम समझता है

 ना जाने कब

ये अंधविश्वास 

कि दीवारें ढंहेगी

 और औंरत को 

उसका अधिकार 

हिस्से की खुशी मिलेगी।

राजित राम रंज

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg