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कवितानज़्म
क़िताब-उल-हयात-ए-सुख़नवर पर गर बशर तेरा नाम लिखना है, ता'बीराते-ख़्यालात की न फ़िक्र कर अश्आर तेरा काम लिखना है! डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर" १८/०८/२०२३