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कामिल कोई शय नहीं है इधर बशर जमाने की - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

कामिल कोई शय नहीं है इधर बशर जमाने की

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कामिल कोई शय नहीं है इधर बशर जमाने की,
फ़िक्र पड़ी है हम को मुक़म्मल मग़र बताने की!

©डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"
१८/०८/२०२३

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