कविताअन्य
शीर्षक:- लेखक की कलम
जहाँ रोशनी ना पहुंचे नीरज की,
पहुंच जाती है कलम लेखक की ।
शब्दो के आसमान पर , लफ्जो को बयां कर देती है ,
मुर्द मे जान फूक दे , नया कर देती है ।
ख्वाबो के सहारे , वास्तिकता बता देती है ,
अपनेआप से अपनेआप का परिचय करा देती है ।
बेजुबा की जुबान बन जाती है ,
जो ये बोलने लग जाए , सबकी जुबान बन्द कर देती है ,
जहाँ किसी की सोच ना पहुँच पाय ,
वहा कलम पहुँच जाती है ।
जब साथ ना हो कोई, हमसफर बन जाती है ,
कभी समने तो कभी दोस्त बन जाती है,
जीवन मे अगर आ जाए कलम तो ,
जीवन की दिशा ही बदल जाती है ,
ये ही वो एक माध्यम है जो इंसान से लेखक बनाती है ।