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कवितानज़्म
ता'बीरात ही बशर जिन की तसव्वुरात है जी भरकर ख़्वाब देखो आपही की रात है डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर" १६/०८/२०२३ --------------------------- ता'बीरात = व्याख्या तसव्वुरात = कल्पनाएं