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कवितानज़्म
लिहाज़ लियाक़त अदब परवरिश होती जगजाहिर बशर हर औलाद की, धूप की तपिश में चलता है पता के गुड़िया है मोमकी या बनी फौलाद की! ©डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर" 13/08/2023