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ग़ुरूर ओ नख़रे नाज़ उनका - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

ग़ुरूर ओ नख़रे नाज़ उनका

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येह ख़ामुशी हो सकती है अंदाज- ए- मिज़ाज उनका
हम क्यूं समझें इसे बशर ग़ुरूर ओ नख़रे नाज़ उनका

#बशर
डॉ.एन.आर. कस्वाँ
Surrey:30/07/2023

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