Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
हिफ़ाज़त वालदैन की - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हिफ़ाज़त वालदैन की

  • 52
  • 2 Min Read

मग़रिब में तो है अक्सर बालिग होने तक
औलाद अमानत वालदैन की,
गोया मशरिक मेंहै मग़र काबिल होने तक
औलाद कफ़ालत वालदैन की!

मंज़र इस दुनिया-ए-फ़ानी में चार-सू तक
बाहम एकसा नज़र आता हैके
क़िस्मत वालों कीही हरसू करती है बशर
औलाद हिफाज़त वालदैन की!

#बशर
डॉ.एन.आर. कस्वाँ
Surrey:28/07/2023

InCollage_20230726_204324871_1690688176.png
user-image
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg
ये ज़िन्दगी के रेले
1663935559293_1726912622.jpg
यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg