कवितानज़्म
मग़रिब में तो है अक्सर बालिग होने तक
औलाद अमानत वालदैन की,
गोया मशरिक मेंहै मग़र काबिल होने तक
औलाद कफ़ालत वालदैन की!
मंज़र इस दुनिया-ए-फ़ानी में चार-सू तक
बाहम एकसा नज़र आता हैके
क़िस्मत वालों कीही हरसू करती है बशर
औलाद हिफाज़त वालदैन की!
#बशर
डॉ.एन.आर. कस्वाँ
Surrey:28/07/2023