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कवितानज़्म
पहले नाना हुए फिर दादा हुए फिर से नाना हो गए मुकम्मल बशर हम हुए घरमें ख़ान-ए-ख़ानाँ हो गए ©️✍️बशर Dr.N.R.Kaswan Surrey: 27/07/2023