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कवितानज़्म
हरसू हरबार बेबात बोलने वाले हरदम नहीं होते ख़ामोश लोगों के पास भी लफ़्ज कम नहीं होते माना के उनके चश्मे-तर रूख़सार नम नहीं होते जो कभी नहीं रोते बशर उन्हे क्या ग़म नहीं होते ©️✍️बशर Dr.N.R.Kaswan Surrey: 27/07/2023