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जो कभी नहीं रोते बशर उन्हे क्या ग़म नहीं होते - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

जो कभी नहीं रोते बशर उन्हे क्या ग़म नहीं होते

  • 118
  • 2 Min Read

हरसू हरबार बेबात बोलने वाले हरदम नहीं होते
ख़ामोश लोगों के पास भी लफ़्ज कम नहीं होते

माना के उनके चश्मे-तर रूख़सार नम नहीं होते
जो कभी नहीं रोते बशर उन्हे क्या ग़म नहीं होते


©️✍️बशर
Dr.N.R.Kaswan
Surrey: 27/07/2023

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