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कवितानज़्म
घुमना-फिरना मिलना-जुलना खाना-पीना मौज में रहना शुरू कर बशर, उम्र-ए-हयात-ए-मुस्त'आर बीती जा रही है अबतो जीना शुरू कर बशर! डॉ.एन.आर. कस्वाँ #बशर