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ऑंसू - Poonam Nagpal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

ऑंसू

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शीर्षक:- आसू
भर जाता है दिल जब दर्द से; बह जाते ये आँखो से,
कभी चोट लगने पर तो कभी , केवल बातों से ,
अन्य परिस्थितियों में झन्हे ती बस बहाना चाहिए बहने का;
लेकिन कौन बताए, जुडे होते है ये सासों से;
चला जाए कोई अपना , नींद चली जाती है रातों से ,
तकलीफ महसूस होती है; नफरत हो जाती है नातो से,
अच्छा ही है जो ये बह जाते है; दर्द बन आँखो से,
सीधे जुड़े होते है आसू; सांसों से ।

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