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मुकाम भी अपना बिना बताए हुए चला गया - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मुकाम भी अपना बिना बताए हुए चला गया

  • 105
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वक़्त ए रूख्स़त नज़रें झुकाए हुए चला गया
राज कोई गहरा दिल में छुपाए हुए चला गया

जाने वाला अचानक यूं कहाँ चला गया बशर
मुकाम भी अपना बिना बताए हुए चला गया

#बशर
Dr.N.R.Kaswan
Surrey: 01/08/2023

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