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सुकूँ महफ़ूज़ घर-भर का - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

सुकूँ महफ़ूज़ घर-भर का

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हाल -ए-दिल -ए-सोज़ाँ बदल देता है
तवक्कुफ़, ताम्मुल, सब्र पल-भर का

सबब हैजान से गुरेज करने का बशर
रख लेता है सुकूँ महफ़ूज़ घर भर का

©️✍️ #बशर
Dr.N.R.Kaswan
Surrey:19/7/2023

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