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कवितानज़्म
कभी पहचाना नहीं जाने क्या-कुछ कभी बशर समझ गए मिरे अज़ीज़ मुझे समझ न सके अजनबी मग़र समझ गए ©️✍️बशर Dr.N.R.Kaswan Surrey: 26/07/2023