कवितानज़्म
आज़माकर हम ने भी
इस जमाने में देखी है !
कमी - बेशी अदब से
पेश आने में देखी है !
हक़ीक़त सलीके की
निभाने में देखी है !
लियाक़त ओ शराफत
हया छुपानेमें देखी है !
तमीज़ क्या होती है
शरमाने में देखी है !
सब्र-ओ-क़रार मर्यादा
दिखाने में देखी है !
इल्मो ओ हुनर इज़्ज़त
कमाने में देखी है !
हरकतें छिछली बशर
मान गवाने में देखी है!
©️✍️बशर
Dr.N.R.Kaswan
Surrey: 25/07/2023