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यायावर फकीरों के मुकद्दर में कभी कहीं घर नहीं आता - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

यायावर फकीरों के मुकद्दर में कभी कहीं घर नहीं आता

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ऐसे भी मुसाफ़िर हैं जिनकी रहगुज़र कहीं शजर नहीं आता
इब्तिदा -ए -सफ़र सफ़र होता है इंतेहा- ए- सफ़र नहीं आता

बस्तियां आती हैं गुज़र जाती हैं मग़र बशर दौराने-राहे-सफ़र
इन यायावर फकीरों के मुकद्दर में कभी कहीं घर नहीं आता

©️✍️ बशर
Dr.N.R.Kaswan
Surrey:23/07/2023

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