Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
रहगुज़र से दूर ही रहा घर-बार मिरा - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

रहगुज़र से दूर ही रहा घर-बार मिरा

  • 60
  • 1 Min Read

कारवां-ए-हयात रहा कुछ बेज़ार मिरा
मील के पत्थरों को रहा इंतज़ार मिरा

मंज़िल को न रहा यकीं सफ़र पर मेरे
रहगुज़र से दूर ही रहा घर -बार मिरा

©️✍️ #बशर
Dr.N.R.Kaswan
Surrey:12/72023

20230712_091126_1689205021.jpg
user-image
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg