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कवितानज़्म
रातों को जाग कर के देख शबे - ग़म गुजार कर के देख बरसों गुज़र जाते हैं बशर सुब्ह का इतजार करके देख ©️✍️ #बशर Dr.N.R.Kaswan Surrey:16/7/2023