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कवितानज़्म
मैं हो गया फ़कीर बशर जब दर्द-ए-ग़ुरबत बर्दाश्त न हुआ मुझसे मुफ़लिसों की लगने लगी है क़तार मांगने अमीरी की दुआ मुझसे ©️✍️ #बशर Dr.N.R.Kaswan Surrey: 8/7/2023