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कवितानज़्म
रास्ता कुछ मुश्क़िल ज़रूर है, मंज़िल-ए -मक़सूद भी दूर है! है येह रहगुज़र दश्त-ब-दश्त, सुकून मग़र बशर भरपूर है!! #बशर डॉ एन आर कस्वां Surrey:8/7/2023