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यादों का आभास हुआ मुझ में - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितागजल

यादों का आभास हुआ मुझ में

  • 57
  • 2 Min Read

पता नहीं पिन्हा कब हुआ मुझमें
इस तरह कोई जज़्ब हुआ मुझमें!

अहसास-ए- विसाल तो था मग़र
हिज्र का मलाल अब हुआ मुझमें!

सब्र ना रहा, करार ना रहा बशर
उनका इंतज़ार जब हुआ मुझमें!

वादा-ए-वस्ल भुला के चलते हुए
यादोंका आभास तबहुआ मुझमें!

©️✍️ #बशर
Dr.N.R.Kaswan
Surrey:10/7/2023

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