कविताअतुकांत कवितागजल
यह वक्त भी अजीब होता है,
कभी हंसाता है तो कभी रुलाता है...
कभी मुश्किलों से भर देता है,
तो कभी सब कुछ खत्म कर के अकेलेपन से जोड़ देता है...
कभी किसी अजनबी से मिलाता है फिर उसको दिल में बसाता है,
फिर ना जाने क्यों वही अजनबी साथ छोड़ कर अक्सर चला जाता है...
पर जैसे ही भूलने लगते हैं हम सब कुछ,
ये वक्त फिर दुबारा किसी से मिलाता है...
फिर उसकी प्यार भरी चीजों से,
हमें अपना वही अतीत याद दिलाता है...
तो कभी उसकी प्यार में हमारे लिए शिद्दत हमारे लिए समर्पण से,
एक नई ज़िंदगी की शुरुआत का अहसास दिलाता है...
हां यार सच में यह वक्त भी अजीब है -
कभी रुलाता है तो कभी हसाता है...
The Voice of Avinash