कविताअन्य
*पुस्तक समीक्षा (Book Review)*
पुस्तक- “कर्मण्य” सफलता व समृद्धि के प्रेरक मंत्र
शिक्षा, संस्कार, आदत और कर्म, धर्म सफलता और सफलता के मायने बताती काव्य और गद्य का सुंदर संकलन कर्मण्य के लेेखक श्याम नन्दन पाण्डेय की यह पहली एकल पुस्तक है
इस पहले लेखक हमरूह पब्लिकेशन की तीन ऐन्थालोॅजी ( लोनली सोल ,लाल और हर हर महादेव) में सहलेेखक रह चुके हैं
कर्मण्य पुस्तक आधुनिकता और विलासिता पर भी चर्चा करती है, हमारी महत्वाकांक्षएँ प्रकृति को किस हद तक नुकसान पहुंचाती हैं और हम कहीं न कहीं खुद का ही अहित करते हैं संसाधन सीमित हैं और इस पर हर जीव का समान अधिकार है।
पुस्तक शिक्षा के साथ -साथ अच्छे संस्कार देने पर जोर देतीहै, संस्कार ही दुनिया में फैलते द्वेष, क्लेश और प्रकृति के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को समाप्त कर सकता है। अच्छे संस्कार से हम एक बेहतर समाज की स्थापना कर सकते हैं जिसमे पिछड़े, कमजोर और हर जीवों को जीने का हक और संसाधन मिल सके।
पुस्तक कर्मण्य व्यक्ति के मानसिक, नैतिक, सांस्कृतिक व सामाजिक स्तर को सही दिशा और ऊर्जा देने की कुंजी है। यह पुस्तक व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक स्तर को ऊँचा कर खुद को पहचानकर लक्ष्य निर्धारण और उसकी प्रप्ति में मददगार है
लेखक श्याम नन्दन पांडेय देश के 25 राज्यों के महानगरों, ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में भृमण कर चुके हैं, विभिन्न राज्यों के किसानों के साथ अच्छे सम्बन्ध के साथ साथ कृषि,कृषि उत्पादों, ह्यूमन विहेवियर,आर्गेनाइजेशनल विहेवियर, इंडस्ट्रियल रिलेशन के जानकार हैं जिसकी छाप इनकी रचनाओं में साफ झलकती है पुस्तक कर्मण्य लेखक के दशकों से अर्जित लेख, कविता, विचार, दर्शन शब्दकोश, सूक्तियां, चौपाईयां, श्लोक, आयतें और नीति वचनों और अनुभवों के कुछ हिस्से का समागम है जिसमें लेखक के डाइवर्सिफाइड, डेमोंस्ट्रेटेड और जमीन से जुड़े रहने के अनुभव प्रतिविम्बित है।
किताब में 7 अध्याय है, जो असल जीवन के पहलू हैं
शिक्षा-संस्कार, धर्म-कर्म आदतें, प्रबन्धन, प्रेरणा व
सफल व्यक्ति और सफलता का असली मतलब समझाती है।
जीवन मे गाँवों की भूमिका और उनसे जुड़े रहने की भावना को प्रेरित करती है।
इस किताब में उद्घृत शुक्ति, श्लोक, आयतें और नीतिवाचन हर बात को मजबूती देकर उसे पुख्ता करती हैं जिसमें इस पुस्तक के पीछे लेखक की मेहनत और रिसर्च साफ- साफ दिखाई देती है ।
कविता वो दो साल जिंदगी के” लेखक के स्वयं के जीवन को चित्रित किया है जो हर विद्यार्थी के जीवन की कहानी है और “ए जिंदगी तू सहज या दुर्गम” में हर व्यक्ति के जीवन के उतार चढ़ाव और कशमकश का किस्सा है।
मशहूर लेखक और 10 सालों तक रायटर एसोसिएशन के अध्यक्ष रहें बंजारन, निगाहें और नगीना जैसे सुपरहिट फिल्मों के लेखक श्री जगमोहन कपूर जी ने किताब पढ़ी और कहा कि यदि वे देश के शिक्षा मंत्री होते तो इस किताब को पाठयक्रम में अनिवार्य कर देते।
पुस्तक की समीक्षा अमर उजाला, दैनिक अपनी दुनिया, राजस्थान पत्रिका व दैनिक भास्कर की मासिक पत्रिका अहा जिंदगी में भी हुई, सब पत्रिकाओं ने पुस्तक के विषय और लेखनी की सराहना की ।
कर्मण्य की प्रकाशन से पूर्व ही 100 से अधिक प्रतियां बिक चुकी थीं, नार्थ ईस्ट, साउथ , उत्तर व मध्य भारत के कई राज्यों में खरीदी व पढ़ी जा रही है
विद्यार्थियों,किसानों और युवाओं के लिए बहुत ही प्रेरक पुस्तक है कर्मण्य।
कर्मण्य से कुछ प्रेरक विचार
-इस से संसार मे हम जो कुछ देखते हैं वह सब हमारे विचारों का ही मूर्त रूप है,यह समस्त सृष्टि विचारों का ही चमत्कार है, किसी भी कार्य की सफलता-असफलता, अच्छाई-बुराई और उच्चता-न्यूनता के लिए मनुष्य के अपने विचार ही उत्तरदायी होते हैं, जिस प्रकार से विचार होंगे सृजन भी उसी प्रकार का होगा।
-छोटी-छोटी आदतें मिलकर बड़ा बदलाव लाती हैं, अच्छी आदतें एक अच्छे चरित्र का निर्माण करती हैं।
-आदत कुशलता की जननी है
-संसार का सबसे मुश्किल काम है खुद को जानना, जो खुद को जान गया उसके लिए कुछ भी असम्भव नही है।
-बुरे विचार और अतीत से मन को रिक्त करिये जिससे नूतन और अनोखे विचार आ सकें
कोई बर्तन तभी उपयोगी है जब वह खाली है।
-मन को शांत और स्थिर रखिए, खुद से प्रेम करिये, प्रेम पाने के बजाय प्रेम बांटने को तत्पर रहिए।
-आकांक्षा हर कोई रखता है जबकि महत्वाकांक्षी होना मतलब उस आकांक्षा की प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील होना।
लेखक-श्याम नन्दन पांडेय "श्यामजी"
प्रकाशक-हमरूह पब्लिकेशन हाउस,दिल्ली