Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
फूड इंस्पेक्टर की दावत (व्यंग्य ) - Hanuman Mukt (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

फूड इंस्पेक्टर की दावत (व्यंग्य )

  • 97
  • 22 Min Read

फुड इंस्पेक्टर की दावत

फुड इन्सपेक्टर जैन की शादी की वर्षगांठ थी। शहर के सबसे बड़े मैरिज गार्डन में आयोजन रखा गया था। सभी व्यवसायी भाग-भाग कर व्यवस्था में लगे हुए थे, कहीं कोई कमी ना रह जाए इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा था। उपहार देने वालों के नाम-पते, उपहार का नाम लिखने के लिए जैन साहब के विश्वसनीय बाबा हलवाई पूरी मुस्तैदी से अपने काम को अंजाम दे रहे थे। वे ज्यादातर लोगो को उनके नाम और काम के हिसाब से जानते थे। हर माह जैन साहब को उगाही भी वे ही कर के देते थे। दूधिया रोशनी और रंग बिरंगी सजावट से मैरिज गार्डन चकाचौंध था। जैन साहब भी अपनी पत्नी के साथ शादी का जोड़ा पहन कर मुस्कराते हुए आगंतुकों का स्वागत कर रहे थे। पार्टी में चुनिंदा लोगों को ही शामिल किया गया था।

खाने के पांडाल में सैकड़ों तरह की स्टाल लगी हुई थी। जिसमें हर तरह की मिठाइयाँ, पकवान, नमकीन, चाट, रोटियाँ (सादा, मिस्सी, परांठे) एवं सब्जियाँ सजी हुई थी। सूप, आइसक्रीम, ज्यूस ले लेकर वैटर मेहमानों को सर्व कर रहे थे। शानदार आयोजन था। कहीं कोई कमी दिखाई नहीं दे रही थी। कार्यकर्ता तन, मन, धन से अपने काम में जुटे हुए थे। फुड इंस्पेक्टर की शादी की वर्षगांठ जो थी।
रंग जम रहा था। हल्का-हल्का कर्ण प्रिय संगीत बज रहा था। पार्टी अपने अंतिम दौर में थी। मेहमान लोग अपना अपना काम निपटाकर अपने घरों को प्रस्थान कर रहे थे। कुछेक जैन साहब के ‘‘खास आदमी’’ ही पार्टी में शेष बचे थे। अचानक रंग में भंग पड़ गया। सी.एम.एच.ओ. साहब का फोन आया कि पचासों लोगों को उल्टी हो रही है और वे हॉस्पिटल में पहुँच गए हैं। पता लगा है कि वे लोग किसी दावत में खाना खा कर आए हैं। तुरन्त दावत वाले स्थान पर पहुंचो और उसे सील कराओ। हो सकता है मिलावटी सामग्री खाने से उनके शरीर में स्लो पॉइजन बन गया है। बॉस का फोन आते ही जैन साहब के शरीर में झुरझुरी सी आ गई। हाथ-पैर फूल गए ।
इस पार्टी का आयोजन उन्होंने बॉस से छुपाकर किया था। इसमें उन्हें आमंत्रित भी नहीं किया था। आने वाले उपहारों से हिस्सा बचाने के लिए। हर छः माह में वे इस तरह का आयोजन करते रहते थे।

वफादार सरकारी नुमाइन्दो की तरह जैन साहब तुरन्त अपने विश्वसनीय बाबा हलवाई को लेकर हॉस्पिटल पहुँचे। देखकर हतप्रभ रह गए। यहाँ वे ही लोग भर्ती थे जो अभी उनकी दावत में से गए थे।

आँखों में खून उतर आया उनके।जब सबसे पहले ही कह दिया था कि इस दावत में सभी सामान शुद्ध काम में लेना है फिर ऐसा कैसे हो गया। सिंथेटिक दूध, मावा इत्यादि का प्रयोग किसी भी हालत में यहां नहीं किया जाएगा । ऐसा सबको पहले ही ताकीद कर दिया था फिर ऐसी हिमाकत करने की जरूरत किसने कर दी।
तुरंत बॉस के निर्देशानुसार दावत वाले स्थान पर पहुंचे। लाल-पीले हो रहे थे वे।
आते ही उन्होंने बरसना शुरू कर दिया।
" दूध किस-किसके यहां से आया?" सभी दूध वाले हाथ जोड़कर खड़े हो गए।
"हुजुर दूध हमारे यहां से आया था"
"दूध कैसा था ।सिंथेटिक?"
" नहीं हुजुर!बिल्कुल शुद्ध दूध था। हमारे सामने भैंस का निकलवा कर लाये थे। आज तो बिल्कुल मिलावट नहीं की थी। यूरिया भी नहीं मिलाया था।"
" मावा किस हलवाई के यहां से आया?"
" हुजुर हमारे यहाँ से। सौ टंच शुद्ध था। बिल्कुल भी अरारोट , आंलू, ऑयल मिक्स नहीं किया था"
" घी के पीपे किसके यहां से आये?"
व्यापारी हाजिर था। बोला ,"साहब मिलावट करके मरना था क्या। शुद्ध घी था। पाम ऑयल, एसेन्स से बने पीपे तो रखे हैं ,जो आपको पहले दिखाए थे साहब को विश्वास नहीं हो तो गिनकर देख लो ।ये उतने ही हैं जितने परसो आपकी काउन्टिंग के समय थे। तब से लेकर अब तक तो आपके यहां लग ही रहे है।"
" हो ना हो मसालों में मिलावट हो?" पंसारी पन्नालाल हाजिर हुए।
"कसम पोथी की साहब। भगवान झूठ ना बुलाए। आपके यहाँ आया सब मसाला मेरे घर से आया था।घर पर ही साफ करके, कूट छनवा कर यहाँ मंगाया था। रिक्शे वाले से पूछ लो यह मसाला घर से लाया है या दुकान से।बुरादा, भूसा, गोबर मिला हुआ धनियां, ईंट पाउडर और रंग मिली हुई मिर्च, सेलम पाउडर और रंग मिली हुई हल्दी, बेकार पत्तों को मिलाकर पिसवाया हुआ गरम मसाला सब कुछ दुकान पर ही बेचता "
जैन साहब ने सभी को बुलाकर उनसे पूछा, लेकिन सबका एक ही जवाब था। सब सामान शुद्ध काम में लिया गया है।
जैन साहब के समझ नहीं आ रहा था ,जब सब सामान शुद्ध था तो फिर ऐसा कैसा हो गया? शुद्ध सामान खाने से लोग बीमार कैसे पड़ गए? वे मन ही मन उधेड़बुन में थे।
‘‘खग ही जाने खग ही भाषा’’
तभी बाबा हलवाई बोला," ऐसा लगता है साहब इन लोगों ने कभी शुद्ध खाना नहीं खाया। इन्हें मिलावटी खाने की आदत पड़ी हुई है, शरीर एक साथ इतनी सारी शुद्ध चीजों को हजम नहीं कर पाया। अनुकूलन में समय लगता है। आप चाहे तो सबके सैम्पल भर लें और उन्हें जाँच के लिए भिजवा दें।"
सुनकर जैन साहब के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। उन्होंने सी.एम.एच.ओ साहब को फोन पर कह दिया ,सब कुछ ठीक है। दावत वाले स्थान से सैम्पल ले लिए हैं।

हनुमान मुक्त
93,कान्ति नगर
गंगापुर सिटी (सवाई माधोपुर)
राजस्थान
मोबाइल नंबर
9413503841

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg