कविताअतुकांत कविता
विधा _ #कविता
कवि_#दिव्यांशु राज
शीर्षक_ # चेतक
हवा सा तेज वो ,
हाथी सा बलवान था
राणा प्रताप का वह घोड़ा ,
वीरता का प्रमाण था ।
महाराणा प्रताप को प्रिय
चेतक उसका नाम था
युद्ध भूमि में चलता
जैसे दुश्मनों का काल था ।
हल्दीघाटी का वो युद्ध
जिसमें चेतक वीरान था
घायल पड़ा युद्ध भूमि में
फिर भी महाराणा प्रताप का ख्याल था ।
चेहरे पर हाथी का मुखौटा
पीठ पर राणा सवार था
हाथी भी असमंजस में पड़ जाता
ऐसा उसका रफ्तार था ।
कट चुका था एक पाँव
फिर भी 26 फीट की
दरिया को छलांग लगाया था
पीछे पड़ी थी सारी मुगल सेना
फिर भी राणा का प्राण बचाया था ।
गोद में रखकर चेतक का मस्तक
राणा ने आंसू बहाया था
मानो जैसे अर्जुन के सारथी
कृष्ण का मौत आया था ।
महाराणा प्रताप का प्रिय
वो चेतक कहलाया था
युद्ध भूमि पर चलता
जैसे दुश्मनों का काल आया था ।