कवितागजल
किसी को ये ज़मीं दे दो किसी को आसमाँ दे दो
मुझे कुछ भी नहीं लेना मुझे बस तात माँ दे दो।
मुझे क्या लेना देना है किसी भी काख़ ए उमरा से
मिरा जैसा है वैसा ही मुझे मेरा मकाँ दे दो।
बिना माँ का वो बच्चा है सड़क पर रो रहा है जो
उठा लो गोद में उसको अरे मेरी अमाँ दे दो।
किसी बच्चे के सिर से माँ का साया छूट जाए तो
उसे बोलो मिरा भाई है उसको मेरी माँ दे दो।
किसी सहन ए मकाँ में अब कि दीवारें न लग जाएँ
जिसे भी कम मिला हो कुछ तो उसको मेरी जाँ दे दो।
मुझे ऐसे न फेंको मैं इसी मिट्टी में जन्मा हूँ
मुझे भी दफ़्न होने को अरे हिन्दोस्ताँ दे दो।